बस एक बार पलट जाओ
बस एक बार लौट आओ
मै भी मान लू गलतियों को
बस तुम लौट आओ!!
बस तुम लौट आओ!!
(साहब .....साहब गेट खोल दो)
हां आ रहा हूं ........ ( रोहन)
बस थोड़ा सा थका हुआ रूम के सारे कपड़े एक जगह इक्कठा करने लगता है और तैयार होने के लिए चला जाता है।
सीमा(maid)- क्या साहब मेडम नहीं आई
रोहन - गुस्से से( मर गई तेरी मेडम )
खाना बनना कर फ्रिज में रख देना थोड़ा गुस्सा खुद पर थोड़ा कम्बक्त दिल पर था
दोपहर 11:20 पर
जी सर तो फिर मीटिंग कब की जाए ,
रोहन जी जल्दी ही आप जब बोले
तो डील पक्की समझे हम "" जी जरूर""
ठीक है सर " have a good day""!
अचानक एक ऑटो रोहन के पास रुकती है कुछ पीले कुछ गुलाबी सी साड़ी हाथो में घुघरू सी चूड़ियां खनकती हुई अपने रेशमी बालों के पीछे करते हुए पूछने लगे यह कितने हुए ? जी मेडम बस ५०₹
मेडम छूटा नहीं है बोहनी का वक्त है
कोई बात नहीं भैया रख लीजिए !
" अरे रोहन तुम" ??
हां तुम यहां कैसे रिद्धिमा - रोहन
दिल से तो बहुत खुश था मगर ये जो ego होता है सब बर्बाद कर देता है
पूछना दोनों को था क्या हाल है दर्द दोनों तरफ था
बस शुरुवात सामने वाले से ही करनी ज्यादा जरूरी समझते थे ।
बस तो कहां ? - रोहन अपने जज्बातों को दबाते हुए
मीटिंग है मेरी 12:00 बजे उसी के लिए बस जा रही हूं लेट ना हो जाऊ अच्छा में चलती हूं ( इतना कह कर वो बस चलने के लिए एक कदम लेती है कि रोहन के जस्बात निकल ही जाता है )
अभी तो वक्त है ? 12:00 बजने में तो क्यों ना कॉफी ही पी लो ( if you........)
रोहन की खामोशी को रिद्धिमा भी समझ रही थी ।
नहीं मुझे लेट हो रहा है रोहन में चलती हूं।
पिलो रिद्धिमा - अच्छा अगर तुम इतना बोल ही रहे हो तो ठीक है चलो
दोनों एक दूसरे के सामने बैठे मगर बाते नहीं बस मन में दबे जज्बातों को चेहरे तक आने को रोक रहे थे ।
खामोशियों का सामान बन चुका था आंखों में देख कर अनदेखा सा कर रहे थे ।
मन में ही दोनों खुद को खुद ही समझ रहे थे ।
कॉफी पियो ना ठंडी हो जाएगी रिद्धिमा
मुझे चाय मगाँ दो अब में कॉफी नहीं पीती हूं ।
चलो ठीक है यह की अच्छी वाली चाय पी लो
रिद्धिमा -"" हम्म्म ""
रिद्धिमा- अपने मन में ही बोलते हुए तुमको आज भी मेरी पसंद याद है रोहन ?
रोहन भी अपने मन से ही जबाव देते हुए ,
- मुझे सब कुछ याद है रिद्धिमा ....... सब कुछ .... सब कुछ याद है । तुम नहीं जानती रिद्धिमा - मै अलार्म से पहले उठ जाता हूं और ...... तुम्हारी तरह रोज पूजा कर के निकलता हूं .... तुम हमेसा मुझे ऎसा देखना चाहती थी ना ...
इतने में रिद्धिमा बोलती है - वजन कम कर लिया (जीम ) ज्वाइन कर लिया क्या ?
नहीं बाबा राम देव योगा शुरू कर दिया है।
बस सिर्फ ख़ामोशी दोनों में फिर कुछ दूरियां बनना देती है ।
रोहन खुद से ही मन में रिद्धिमा को समझता हुआ( आज कल में रात को ख्राटे भी नहीं लेता ..... तुम हमसे सही कहती थी योगा से ही होगा ।
अब में सोक्स जूते में रख कर shoe rack में रखता हूं
जब जज़्बात दोनों ओर हो खोमोशी को तोड़ देना चाइए मगर दोनों का ego बीच में आ जा रहा था।
रिद्धिमा भी खुद से ही खुद को रोहन को बता रही थी मगर उसके भी जज़्बात वैसे ही थे ( मै आगे बढ़ना चाहती थीं , मगर तुमको भुला ही नहीं पाई ..... देखना नहीं मैने साड़ी पहनी है तुम हमेशा से यही ...... चाहते थे ना
मेरे बालो को भी खोल रखा है !
मै अब गुस्सा भी नहीं होती रोहन ????
इतने में वेटर आता है सर अपका बिल
और दोनों अपने - अपने ego भारे जज्बातों से बाहर निकल जाते है और एक दूसरे को इंतजार करते है कौन पहले बोलेगा
क्या दोनों अपने ego से बाहर निकल जाते है या फिर दोनों अपनी यादों में खो कर अपने अपने रास्ते चले जाते है ( जाने शेष भाग में )